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लेखनी कहानी -12-Sep-2023

कहानी : सरप्राइज

दिन के 11 बज रहे थे । रवि अपने काम में व्यस्त था । एक मल्टीनेशनल कंपनी के इंडिया के ऑफिस में सेकंड पोजीशन पर काम करना कोई मामूली बात तो नहीं थी ! करीब 50 लोगों का स्टॉफ था उसमें । सब आइआइटियन या आइआइएम किये हुए बंदे थे वहां पर । रवि भी आइआइटी दिल्ली और आइआइएम अहमदाबाद से पास आउट था । कठिन परिश्रमी , सिन्सीयर और बुद्धिमान होने के कारण वह पांच साल में ही यहां की सेकंड पोजीशन पर आ गया था । उसकी पी ए ने बताया कि  उसे बॉस बुला रहे हैं । वह अपने बॉस से मिलने चला गया ।  "आओ रवि , बैठो । एक बहुत बढिया न्यूज आई है अभी अभी । चलो , गैस करो" ? उसके बॉस घोषाल ने मुस्कुराते हुए कहा ।

रवि बॉस के चेहरे को देखकर मन ही मन गैस लगाने लगा, लेकिन उसे कोई क्लु हाथ नहीं लगा । घोषाल बाबू को इतना सब्र कहां था । अत : वे जल्दी से बोल पड़े "अरे , इतनी देर  में तो हमारे पूर्व प्रधान मंत्री अटल जी भी बोल देते थे" ! यह कहकर वे जोर से हंसे ।  "नहीं पहुंच पाये ना वहां तक" ? उनके चेहरे पर विजयी मुस्कान थी । रवि उन्हें पागलों की तरह देखता रह गया ।

"अरे, अब बस भी करो यार , कब तक मुझे यूं पागलों की तरह घूरते रहोगे ? चलो , मैं ही बता देता हूं" । कहकर घोषाल बाबू ने रवि की आंखों में गहरी दृष्टि डालते हुए देखा और कहा  "दरअसल , अभी अभी सी एम डी सर का फोन आया था । वो बता रहे थे कि कंपनी के 25 ग्लोबल ऑफिस में से अपने यानि भारत के ऑफिस का प्रॉफिट सबसे अधिक रहा है । और हमारा प्रॉफिट इतना अधिक रहा है कि दूसरे नंबर पर रहे ब्राजील के ऑफिस से दुगने से भी ज्यादा प्रॉफिट रहा है । इस ग्रेट एचीवमेंट पर अपने सी एम डी साहब ने पूरे स्टॉफ को बधाई देते हुए सबको दो दो इंक्रीमेंट और आज की छुट्टी करने का ऐलान कर दिया है । जल्दी ही एक ग्राण्ड पार्टी सेलिब्रेट की जायेगी जिसमें सी एम डी साहब के अलावा न्यूयार्क से सारे एक्जीक्यूटिव भी आयेंगे । उसके लिए जगह वगैरह तलाश कर लेना । अभी तो तुम जाओ , पूरे स्टॉफ को बता दो और अपने अपने घरों पे जाकर "ऐश" करो" । घोषाल सर ने बांयी आंख दबाकर कहा और अपनी असिस्टेंट को कुछ आवश्यक निर्देश देने लग गये ।

रवि की तो बल्ले बल्ले हो गई । एक साथ दो दो इंक्रीमेंट ! मजा आ गया उसे । अभी उसका पैकेज 2 करोड़ रुपए का था । एक इंक्रीमेंट उसका 20 लाख का होता है । एक साथ 40 लाख रुपए बढ गई थी उसकी सैलरी । मतलब 3 लाख रुपए से ज्यादा मंथली बढी थी । और आज की छुट्टी भी ।

उसे अचानक याद आया "अरे , एशिया कप में आज तो भारत और पाकिस्तान का मुकाबला होने जा रहा है ना । वाह ! आज तो मजा आ जायेगा । सच, क्या शानदार सेलिब्रेशन होगा आज । काश ! आज भारत पाकिस्तान को धोकर रख दे" । वह सोचता हुआ अपने केबिन में आ गया और अपनी पी ए को कह दिया कि वह सबको बता दे कि आज हमारे ऑफिस की छुट्टी कर दी गई है ।

उसके होंठ गोल गोल होकर व्हिसिल बजाने लगे "मुस्कुराने की वजह तुम हो" । उसके ख्वाबों में दिव्या की खूबसूरत तस्वीर घूमने लगी । 5 साल हो गये उससे शादी हुए पर उसे ऐसा लगता था कि जैसे कल की ही तो बात है । जैसे ही उसे दिव्या का ख्याल आया , उसके अधरों पर एक शरारत भरी मुस्कान तैर गई ।

दोनों के ऑफिस का टाइम अलग अलग है । वे दोनों घर में एक साथ कभी कभार ही रहते हैं । शनिवार और रविवार का दिन ही तो मिलता था दोनों के लिए जब वे एक साथ रहते थे । उन दो दिनों में खूब मस्ती करते थे दोनों । उनके अंतरंग क्षणों के साक्षी भी सिर्फ वे दो ही दिन होते थे । उसके अतिरिक्त और समय ही नहीं मिलता था उन दोनों को ।  "आज मौका मिला है बेबी बहुत दिनों बाद ! आज तो तुम भी घर पर ही हो । आज की छुट्टी ले ली है ना तुमने । तो आज हमारा ग्रांड "मिलन" होगा । पिछले शनिवार और रविवार को भी तुम "रेड जोन" में थी । मैंने कैसे काबू किया था खुद पर , तुम क्या जानो डार्लिंग ? चलो , आज भगवान ने मेरी सुन ली है तो आज खूब मजे करेंगे हम दोनों" ।

दिल में उमंग और होठों पर मुस्कान लिए हुए उसने अपना ऑफिस छोड़ दिया और अपनी बी एम ड्बल्यू कार में सवार हो गया । उसने मोबाइल उठाया "दिव्या को बता देता हूं । वह तैयार हो जायेगी "मैच" खेलने के लिए । आज तो दिन में ही मैच खेलना पड़ेगा ना ! रात तक कौन रुकेगा ? ऐसा करते हैं कि 20-20 मैच तो अभी खेल लेंगे और रात को आराम आराम से 50 ऑवर्स का खेल लेंगे" । रविवार बहुत एक्साइटेड हो रहा था ।

अचानक उसे ख्याल आया कि क्यों नहीं दिव्या को सरप्राइज दिया जाये ? उसे तो ख्वाबों में भी पता नहीं होगा कि मैं आज घर पर आ रहा हूं अभी । रोज रात को 10 बजे से पहले पहुंचता ही नहीं हूं घर में । पर उसे कैसे पता चलेगा ? मैं बताऊंगा तभी तो पता चलेगा ना ? मैं बताऊंगा नहीं तो उसे कैसे पता चलेगा" ? उसके हाथ मोबाइल से हट गये और उसने अपना मोबाइल जेब में डाल दिया । सरप्राइज के नाम से वह और खिल गया था । आज तो दिव्या का आश्चर्य में डूबा वह चेहरा देखने को मिलेगा जिसे देखे बहुत दिन हो गये थे । मुझे इस समय घर पर देखकर वह हतप्रभ रह जायेगी । उसका मुंह खुला का खुला ही रह जायेगा । तब कितना मजा आयेगा ? यह सोच सोचकर रवि बहुत खुश हो रहा था ।

उसने कार की गति बढा दी । सामने से एक बारात आ रही थी । दूल्हा घोड़ी पर बैठा बैठा मुस्कुरा रहा था । उसके मन में लड्डू फूट रहे थे । बैंड बाजा बज रहा था "आज मेरे यार की शादी है" पर दूल्हे के संबंधी, मित्र और महिलाऐं डांस कर रही थीं । क्या बच्ची, क्या जवान और क्या बूढी औरतें  ? सबने खूब मेकअप कर रखा था और बालों में गजरा , मोगरे की वेणी, गले में मोतियों के हार और हाथों में गुलाब के फूलों के कंगन । कितने अच्छे लग रहे थे सब ? उन फूलों की महक रवि की कार के अंदर तक आ रही थी ।

"दिव्या को गुलाब और मोगरे के फूल कितने पसंद हैं ना ! आज के दिन तो उसे सरप्राइज देना है तो आज की रात को क्यों न एक बार फिर से यादगार बना दिया जाये ? क्यों क्या खयाल है" ? उसने खुद से ही सवाल किया और खुद ही जवाब दे दिया ।  "खयाल तो बहुत नेक है पर फूलों की दुकान बहुत दूर है । आने जाने में एक घंटा लग जायेगा । तब तेरे 20-20 मैच का क्या होगा" ? फिर खुद ने ही इसका भी जवाब दे दिया "कोई नहीं । पूरी रात पड़ी है ना । 50-50 ओवर का फुल मैच खेल लेंगे पर आज सरप्राइज अवश्य देंगे" । उसकी कार ऑटोमेटिक फूल वाली दुकान की ओर मुड़ गई ।

अचानक उसे ध्यान आया "ओ तेरी की ! साले , घर में तो 'मैनफोर्स' भी खत्म हो गये हैं । दिव्या ने तो 10 दिन पहले ही कह दिया था , पर उसे ही ध्यान नहीं रहा । बेटा , बिना मैनफोर्स के तो दिव्या छूने भी नहीं देगी तेरे को ! तब तेरे 50-50 ओवर वाले मैच का क्या होगा" ?   रवि ने अपनी आंखें इधर उधर घुमानी शुरू कर दी । उसे सामने ही एक मेडीकल स्टोर नजर आ गया । उसने अपनी गाड़ी रोकी और उससे "मैनफोर्स" मांग लिया ।  "कौन सा फ्लैवर दूं भैया" । दुकानदार ने मुस्कुराते हुए कहा । रवि सोच में पड़ गया । अचानक उसे याद आया कि दिव्या को "स्ट्राबेरी" फ्लैवर पसंद है । उसने तुरंत कहा "स्ट्रॉबेरी"  "सॉरी भैया । स्ट्रॉबेरी अभी अभी खत्म हो गया है । आजकल "लीची" फ्लैवर बहुत पसंद आ रहा है भाभियों को ! कहो, तो दे दूं" ? वह रहस्यमयी हंसी हंसते हुए कह रहा था ।  इस बात पर रवि को इतना गुस्सा आ गया था कि वह चाहता था कि मार मार कर वह उसे अधमरा कर दे । साला, "स्ट्रॉबेरी" ज्यादा नहीं रख सकता था क्या ? और ये क्या लीची वीची लगा रखा है इसने ? ये कोई "फ्रूट्स हैं क्या जो भाभियां इन्हें खाती हैं" ?  उसने मन ही मन उसकी नकल कर डाली "आजकल लीची फ्लैवर बहुत पसंद आ रहा है भाभियों को ! साला , हरामखोर ! जैसे भाभियां आकर इसे बताती हैं कि उन्हें कौन सा 'कण्डोम' पसंद है" ?  "दे दो यार कोई सा भी अब जल्दी से ! चलो, लीची वाला ही दे दो । ऐसा करो, एक दूसरा भी दे देना" । उसने सावधानी बरतते हुए कहा "क्या पता दिव्या को ये लीची वाला पसंद ना आये तो ? सारा मूड ऑफ हो जाएगा उसका" । उसे पता था कि दिव्या को "पाइन ऐप्पल" फ्लैवर भी बहुत पसंद है ।  "वो दूसरा वाला पाइन ऐप्पल" वाला दे देना" ।  "जी भैया" ।

फिर वह जल्दी से बूके वाली दुकान पर आया । उसने 2 किलो गुलाब के फूल , मोगरे की तीन चार वेणी, अलग अलग फूलों की कई सारी मालाऐं ले डाली । "आज तो मैं अपने 'फूल' को सतरंगी फूलों से नहला दूंगा" । रवि का उत्साह देखते ही बनता था ।

घर पहुंचते पहुंचते उसे 2 बज गये थे । सूरज सिर पर आ गया था । घर के सामने एक स्कोडा कार खड़ी देखकर उसका माथा ठनका ।  "कौन आया है घर में" ?  उसने मन ही मन अपने सारे रिश्तेदार और दोस्तों को याद कर लिया । पर किसी के पास स्कोडा थी ही नहीं ।  "लगता है कि कोई पडोस में आया होगा और उसने अपनी गाडी इधर पार्क कर दी होगी" ।  उसने फालतू के सारे खयालों को दिल दिमाग से निकाल कर फेंक दिया और अपने "सरप्राइज" पर ध्यान केन्द्रित कर लिया । एक बार फिर से उसका मुंह कमल की तरह खिल गया था ।

उसने एक "विला" खरीद लिया था । पूरे 3 करोड़ का था वह । पिछले साल ही तो खरीदा था उसने यह विला । दोनों जने मस्ती से रह रहे थे इसमें । दोनों के पास एक एक चाबी थी उस विला की । कभी भी आओ, गेट खोलकर अंदर घुस जाओ ।

रवि ने अपनी जेब से चाबी निकाली और विला का लॉक खोल दिया । उसने हौले से दरवाजा खोला जिससे दिव्या को पता नहीं चले । उसके एक हाथ में फ्लॉवर्स और दूसरे में "मैनफोर्स" के दो पैकेट थे । वह दबे पांव धीरे धीरे घर के अंदर आ गया और हलके कदमों से बिना आवाज के अंदर चलता चला गया । लिविंग रूम और ड्राइंग रूम में कोई नहीं था । किचन भी खाली थी ।  "कहां गई दिव्या" ? उसकी बेचैनी बढ़ने लगी  "शायद ऊपर अपने कमरे में हो" ?  वह धीरे धीरे सीढियां चढने लगा । ऊपर बैडरूम का दरवाजा बंद था । उसने हौले से दरवाजे पर हाथ रखा तो दरवाजा खुलता चला गया । दरवाजा केवल उढका हुआ था । उसने बैडरूम में नजर दौड़ाई पर दिव्या वहां भी नहीं थी । अब तो एक ही रूम और बचा था ।  "वहीं होगी वह , और कहां जायेगी" ? उसने मन ही मन सोचा ।  वह बैडरूम से बाहर निकल आया और पास में दूसरे रूम में धीरे से प्रवेश कर गया । मगर दिव्या यहां भी नहीं थी । "आखिर दिव्या गई कहां" ? वह विक्षिप्त की तरह ढूंढने लगा दिव्या को । वह दिव्या के बारे में सोच ही रहा था कि इतने में बाथरूम के अंदर से कुछ आवाज आई ।  "ओह ! तो दिव्या बाथरूम में है" ।  एक मन तो किया कि उसे बाथरूम में ही "सरप्राइज" दे दिया जाये पर अगले ही पल उसने मन ही मन कहा "ये ठीक नहीं है" ।  इतने में बाथरूम से कुछ अजीब सी आवाजें आईं । वह एकदम से चौंका । एक नहीं दो आवाजें आ रही थी बाथरूम से । एक मर्द की और एक औरत की । "कौन हो सकता है वहां" ? उसके माथे पर लकीरें पड़ गईं थीं ।

रवि धड़कते दिल से बाथरूम की ओर बढ़ा । उसके एक हाथ में फ्लॉवर्स और दूसरे हाथ में मैनफोर्स के पैकेट्स तथा दिमाग में बहुत बड़ा असमंजस था । उसने बाथरूम का दरवाजा धीरे से पुश किया तो वह पीछे होता चला गया ।

उसने देखा कि बाथरूम में दिव्या नीचे फर्श पर अनावृत होकर "घोड़ी" बनी हुई थी जिस पर एक जवान आदमी  खड़ा खड़ा "राइडिंग" कर रहा था । उन दोनों की पीठ दरवाजे की ओर थी इसलिए वह उस आदमी का चेहरा देख नहीं पा रहा था । रवि ने जैसे ही बाथरूम का यह नजारा देखा , उसके दोनों हाथों से फ्लॉवर्स और मैनफोर्स के पैकेट्स नीचे गिर पड़े ।  उनकी आवाज से उस आदमी ने पीछे मुड़कर देखा तो रवि उसे पहचान गया । वह कार मैकेनिक पृथ्वी सिंह था । रवि को देखकर वह एकदम से ठिठक गया और उसकी "राइडिंग" बंद हो गई । दिव्या का मुंह अभी भी आगे की ओर ही था । "राइडिंग" बंद होते ही दिव्या चीख पड़ी  "डोन्ट स्टॉप डार्लिंग ! कम ऑन ! राइड मी फास्ट" !

कहते कहते दिव्या ने अपना मुंह पीछे किया तो सामने रवि को देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया । रवि को तो जैसे लकवा मार गया था । वह वहीं ढेर हो गया । पता ही नहीं चला कि किसने किसको "सरप्राइज" दिया था ।

श्री हरि  12.9.23

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4 Comments

kashish

24-Sep-2023 12:37 PM

Amazing

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madhura

24-Sep-2023 11:53 AM

Nice one

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Anjali korde

17-Sep-2023 10:41 AM

V nice

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